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Thursday, August 20, 2020

Jharkhand Ki Mitti (झारखंड की मिट्टी )

झारखंड की मिट्टी 

(Jharkhand Ki Mitti)

 

झारखंड राज्य की सतही मिट्टी भी इसके भौतिक स्वरूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यहां की मिट्टी में खनिज पदार्थ प्रचुर मात्रा में पाया जाता है

💥 स्थलीय पृष्ठ की ऊपरी परत को मिट्टी कहते हैं 

झारखंड में कुल 6 प्रकार की मिट्टियां पाई जाती हैं 

(1) लाल मिट्टी 
(2) काली मिट्टी 
(3) लेटेराइट मिट्टी
(4) रेतीली मिट्टी या बलुई मिट्टी
(5) जलोढ़ मिट्टी
(6) अभ्रकमूलक  मिट्टी


उपयुक्त सभी प्रकार की मिट्टियों का वर्णन निम्न प्रकार  है:-

💥लाल मिट्टी

💨 लाल मिट्टी झारखंड के सभी क्षेत्र में पाया जाता है, राज्य की सबसे प्रमुख मिट्टी है, छोटानागपुर के 90% भाग में यह मिट्टी पाई जाती है
💨यह  शुष्क और आर्द्र  जलवायु के कारण लौह ऑक्साइड से भरपूर चट्टानों के टूटने और पीसने से बनती है। इस मिट्टी में कहीं-कहीं खनिजों के अंश होने के कारण इसका रंग पीला होता है 
💨यह मिट्टी  बहुत कम उपजाऊ होने के कारण इस में कृषि नहीं के बराबर होता है, इस मिट्टी में अनाज के रूप में बाजरा ही पैदा हो पाता है
💨लाल मिट्टी केवल अपवाद के लिए दामोदर घाटी की गोंडवाना चट्टानों और राजमहल की ऊंची भूमि में  नहीं पाई जाती है
💨 इसमें लौह तत्वों  की मात्रा अधिक होने के कारण अति रंध्र युक्त होता है 
💨अभ्रक मूलक लाल मिट्टी हजारीबाग और कोडरमा में पाया जाता है
💨लाल काली मिश्रित मिट्टी सिंहभूम और धनबाद में पाया जाता है

💥काली मिट्टी

💨काले एवं भूरे रंग की यह मिट्टी राजमहल के पहाड़ी क्षेत्र में पाई जाती है 
💨बेसाल्टिक मिट्टी सिलिकॉन पदार्थों से युक्त होती है, इसमें पोटाश , कोयोलीन, मैग्नीशियम और लौह   ऑक्साइड इत्यादि प्रमुख रूप से पाया जाता है  
💨इस मिट्टी में नमी वह आर्द्रता  बनाए रखने की क्षमता होने के कारण कृषि के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है, इसमें कपास, चना और धान की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है
 

💥लेटेराइट मिट्टी

💨इस मिट्टी में लौह ऑक्साइड के साथ चुना, फस्फोरस और पोटाश भी पाया जाता है, लेकिन इसमें लौह ऑक्साइड की मात्रा सबसे अधिक होती है। 
💨रांची के पश्चिमी क्षेत्र, पलामू के दक्षिणी क्षेत्र, संथाल परगना के पूर्वी राजमहल के क्षेत्र, सिंहभूम के  दलभूम के दक्षिणी पूर्वी क्षेत्र में ऐसी मिट्टी पाई जाती है। 
💨यह मिट्टी कृषि के दृष्टि से उपयुक्त नहीं होती है, इस मिट्टी की उर्वरता बहुत कम होती है अरहर और अरंड  की खेती होती है 
 

💥रेतीली मिट्टी या बलुई मिट्टी

💨यह मिट्टी का रंग लाल और पीले रंग का मिश्रण होता है, जो हल्का लालिमा लिए रहता है।  
💨यह मिट्टी दामोदर घाटी क्षेत्रों में पाया जाता है। 
💨से मिट्टी में मोटे अनाजों की खेती के लिए उपयुक्त होती है
  

💥जलोढ़ मिट्टी

💨झारखंड में पाए जाने वाले मिट्टियों में सबसे नवीन मिट्टी है।  

💨राज्य में जलोढ़ मिट्टी के दो प्रकार हैं 

(1) भंगार ( पुरातन जलोढ़) मिट्टी, 
(2) खादर (नवीन जलोढ़) मिट्टी पाए जाते हैं। 

💨यह मिट्टी बहुत उपजाऊ होती है, ऐसे मिट्टी में धान,गेहूं की खेती के लिए बहुत उपयुक्त होता है। 

💨जलोढ़ मिट्टी झारखंड के तीन क्षेत्र में पाया जाता है 

(1)साहिबगंज का उत्तर  पश्चिमी भाग -भंगार ( पुरातन जलोढ़) मिट्टी, 
(2) साहिबगंज का उत्तरी पूर्वी किनारा भाग -खादर  (नवीन जलोढ़) मिट्टी,
(3) पाकुड़ का पूर्वी क्षेत्र 

💨साहिबगंज का उत्तर पूर्वी क्षेत्र झारखंड का सबसे उपजाऊ क्षेत्र है
 

💥अभ्रकमूलक  मिट्टी

💨यह रेतीली मिट्टी अभ्रक के अंशों  से प्रभावित होकर चमकदार होता है
💨 शुष्कता के कारण इसका रंग हल्का गुलाबी हो जाता है और नमी के कारण पीला दिखाई देता है
💨 झारखंड राज्य के अभ्रक के खाने वाले क्षेत्रों, 
💨जैसे कोडरमा, झुमरी तलैया, मांडू ,बड़कागांव में यह अधिक पाई जाती हैं।
💨 कहीं-कहीं इस मिट्टी में कोदो, कुर्थी आदि फसलें उगाई जाती हैं। 

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